गोवर्धन पूजा 2021: गोवर्धन पूजा कब है 2021, तिथि, कहानी, महत्व
गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन की जाती है। यह दिन बहुत पवित्र माना गया है। मंदिरो में इस दिन अन्न्कुठ का भोग लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजा कब है 2021
दीपावली के अगले दिन शारदीय नव वर्ष की शुरुआत होती है। इस साल गोवर्धन पूजा 5 नवंबर 2021 को होगी।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
पुराणों में माना गया है की इसी दिन देवताओ के राजा इंद्र की पूजा करके भगवान इन्द्र से वर्षा और धान्य की याचना की जाती थी।
गोवर्धन लीला भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाओ में से एक है। गोवर्धन लीला भगवान ने अपने परम भक्त गिरीराज का माहत्म्य और इंद्र को सबक सिखाने हेतु रचाई थी।
देवताओ के राजा को अभिमान था की अगर वह वर्षा नहीं करेंगे तो पृथ्वी पर जीवन नष्ट हो जाएगा। यही अभिमान को दूर करने के लिए कृष्ण ने यह लीला रचाई थी।
गोवर्धन पूजा की कहानी
एक बार व्रज में वर्षा और धान्य की याचना करने के लिए इन्द्र पूजा की तैयारियाँ कर रहे थे। तभी कृष्ण ने सबको सवाल किया की यह पूजा किसके लिए की जा रही है। सबने उसे बताया की राजा इन्द्र की पूजा करने से ही व्रज में वर्षा होगी और धान्य मिलेगा।
तब कृष्ण भगवान ने सबको समझाया की व्रज की गाये गोवर्धन पर्वत का घास खाती है, और गोवर्धन पर्वत से टकराकर ही व्रज में बारिश होती है। तो सबको इंद्र की नहीं परंतु गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए।
यह सुनकर इंद्र क्रोधित हो गए और व्रज वासीओ को अपनी शक्ति दिखाने के लिए व्रज में मुशलधार वर्षा शुरू कर दी, ताकि पूरा व्रज तहस नहस हो जाए।
बहुत समय तक वर्षा होने से व्रज में सब तहस नहस होने लगा और सब डर गए। तभी भगवान कृष्ण ने बाल स्वरुप में गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पे उठा लिया और सारे व्रज वासीओ को उसके निचे सुरक्षा दी।
यह देख इन्द्र ओर भड़क उठा और प्रलयंकारी बारिश की परन्तु इसका व्रजवासीओ पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यह देख इन्द्र समज गए की यह छोटा सा बालक कोई साधारण बालक नहीं है।
वह इसके समाधान के लिए ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया की यह कोई साधारण बालक नहीं परंतु भगवान कृष्ण है। इन्द्र यह सुनकर आश्चर्य चकित हो गया और उसने तुरंत ही बारिश रोक दी।
उसे अपने किये पर पछतावा हुआ और वह व्रज मंडल पंहुचा और श्री कृष्ण से क्षमा याचना की।जब भगवान ने देखा की इन्द्र का अभिमान पिगल गया, तब उन्होंने उसे माफ़ किया और तब से हर साल इन्द्र के बदले गोवर्धन पूजा का महत्व है।
कहते है, की भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली पर सात दिनों तक उठाया हुआ था और सात दिन बाद जब गोवर्धन पूजा हुई, वह दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा थी। तबसे हर वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाए?
इस दिन मंदिरो में छपन्न भोग एवं अन्नकुट किया जाता है। इस दिन गाय और बैलो को स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है, और नई रस्सी पहनाई जाती है।
गाय और बैलो को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे सुंदर सजाकर उसकी पूजा की जाती है। धुप ,दीप जलाकर उसे भोग लगाया जाता है। और बाद में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाई जाती है।