श्राद्ध कब से शुरू है 2023 List | Shradh Paksha 2023

श्राद्ध कब से शुरू है 2023 List | Shradh Paksha 2023
श्राद्ध कब से शुरू है 2023 List | Shradh Paksha 2023

श्राद्ध कब से शुरू है 2023 List | Shradh Paksha 2023

मानव द्वारा श्रद्धा से दी जाने वाली वस्तु को ही श्राद्ध (Shradh) माना जाता है। श्राद्ध कर्म में पितृ पूजा किये बिना ही किसी भी अन्य चीज़ों,कार्य का अनुष्ठान करता हे, तो उसकी वह क्रिया का फल राक्षशो को मिलता है। तो चलिए जानते है, श्राद्ध कब है 2023 में और श्राद्ध क्यों और कैसे किया जाता है? कौन है श्राद्ध योग्य? किसका श्राद्ध नहीं करना चाहिए? तो अंत तक ज़रूर पढ़े।

2023 में श्राद्ध कब आएंगे?

श्राद्ध हर साल भादो की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या तक मनाते है। इस साल पूर्णिमा 29 सितंबर 2023 को होगी, इसी दिन पितृ पक्ष शुरू हो जायेगा, और इसका समापन 14 अक्टूबर 2023 पर होगा।

श्राद्ध क्या है?

जो श्रद्धा से दिया जाये या किया जाये उसे श्राद्ध (Shradh) कहते है। जीवात्मा का अगला जीवन अपने पिछले जन्म के कर्मो के आधार पर होता है।

श्राद्ध (Shradh) करके हम यह प्राथना करते है, के जीवात्मा का अगला जीवन अच्छा हो। और उससे वह हमारी रक्षा करते है।

वायु पुराण में सूत जी कहते है – ब्रह्माजी के आज्ञा के अनुसार जो लोग मनुष्य की सत्गति के लिए श्राद्ध आदि करेंगे ,उसे उनके पितृ हमेशा खुश रहेंगे और उनको अच्छी गति प्राप्त होगी।

श्राद्ध में क्या किया जाता है?

श्राद्ध कर्म में अपने पितामह और अपने गौत्र का उच्चारण करके जो लोग अपने पितृ को कुछ अर्पण करते है। वह पितृ उनसे संतुष्ट होंगे और देनेवाले की संतति को संतुष्ट करेंगे, तथा विशेष सहाय भी करेंगे।

उन्ही पितृ की कृपा से तपस्या और सिद्धिया प्राप्त होती है। वही पितृ हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त करवाते है।

निरंतर अच्छे कर्म और पूजा से योगाभ्यासी सभी पितृ को संतुष्ट रखते है। यही योगी के अभ्यास से चन्द्रमा भी तृप्त होते हे, जिससे त्रिलोक का जीवन बना रहता है। इसीलिए कहा गया हे, की योग की मर्यादा रखने वालो को हमेशा श्राद्ध (Shradh) करना चाहिए।

श्राद्ध 2023 की तिथियां और तारीख

तिथिदिनश्राद्ध
29 सितंबर 2023शुक्रवारपूर्णिमा श्राद्ध
29 सितंबर 2023शुक्रवारप्रतिपदा श्राद्ध
30 सितंबर 2023शनिवारद्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023रविवारतृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023सोमवारचतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023मंगलवारपंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023बुधवारषष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023गुरुवारसप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023शुक्रवारअष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023शनिवारनवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023रविवारदशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023सोमवारएकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023बुधवारद्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023गुरुवारत्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023शुक्रवारचतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023शनिवारसर्व पितृ अमावस्या
श्राद्ध कब से शुरू है 2023 List – Shradh Paksh 2023

Shradh
Shradh

श्राद्ध किसका होता है?

वराह पुराण में मार्कण्डेयजी श्राद्ध विधि का वर्णन करते हुवे कहते है – तपस्वी ब्राह्मण ,भांजे ,मामा ,जमाता ,शिष्य ,सेज संबधी ,या अपने माँ बाप के प्रेमी ब्राह्मणो को ही श्राद्ध में नियुक्त करना चाहिए।

वायु पुराण के अनुसार श्राद्ध के समय में हज़ारो ब्राह्मणो को भोजन करने से जो फल मिलता है, उतना ही फल अगर कोई योग में निपूर्ण एक ब्राह्मण को संतुष्ट किया जाये, तो उतना ही फल वह ब्राह्मण अकेला ही देदे में सक्षम हे। उतनाही नहीं वह सबसे बड़ा भय नर्कलोक से भी छुटकारा दिलाता है।

हज़ारो गृहस्थ जीवन जीने वाले अथवा एक ब्रह्मचारी से भी बढ़कर हे एक योगाभ्यासी। और जिनका पुत्र या पौत्र किसी ध्यान में मग्न रहने वाले योगी या सन्यासी को भोजन करता हे। तो वह पितृ बहुत संतुष्ट एवं प्रसन्न होते है।

श्राद्ध के अवसर पर यदि कोई योगाभ्यासी या सन्यासी न मिले तो दो ब्रह्मचारी को भोजन करना भी उत्तम हे।

अगर वह भी न मिले तो किसी दुखी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। ब्रह्माजी की आज्ञा के अनुसार हज़ारो सालो से अगर कोई तपस्वी एक पेरो पे तपस्या करता हे उससे भी बढ़कर ध्यान में मग्न ध्यानी तथा योगी हे।

श्राद्ध पक्ष में क्या करें क्या नहीं?

मित्रघाती ,विकृत स्वभाव वाला ,कन्यागामी ,जान समाज में निन्दित ,चोर,पुनर्विवाहितस्त्रि का पति ,वेतन लेकर पढ़ने वाला ,माता पिता का त्याग करने वाला,शुद्र स्त्री पति और मंदिर में पूजा करके जीविका चलाने वाला ब्राह्मण ,श्राद्ध के अवसर पर निमंत्रण देने के योग्य नहीं हे।

बच्चो का सूतक हो ,दीर्ध काल से रोगग्रस्त हो उससे श्राद्ध कर्म नहीं देखने चाहिए। कहा गया हे की उनके द्वारा अन्न को स्पर्श मात्रा से श्रद्धादि संस्कार अपवित्र हो जाते है।

ब्रह्महत्या पाप करने वाले ,गुरुपत्नीगामी ,कृतग्न ,आत्मज्ञानसे वंचित ,नास्तिक ,तथा अन्य पाप कर्मी भी श्राद्ध कर्म में वर्जित माने गए है। विशेषतौर पे देवताओ तथा देवर्षो की निंदा करने वाले के देखने से भी श्राद्ध कर्म निष्फल हो जाते है।

इसी प्रकार हमे शास्त्रों का अनुकरण करके हमे इन सारी बातों का ध्यान रखना चाहिए। आशा करते हे, की आपको दी गयी जानकारी से आप संतुष्ट हो। यहाँ तक बने रहने के लिए आपका, धन्यवाद।


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