Dhanteras 2023: धनतेरस 2023 में कब है,जाने तिथि, पूजा, महत्त्व

धनतेरस (Dhanteras) यानि धन और तेरस यानि तेहरवा गुना, कहते है यह दिन धन की वस्तु खरीदने पर वह धन तेरहवा गुना होके वापस आता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का काफी अधिक महत्व बताया गया है। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहते है। यह दिन को भारतीय सरकार ने इसे राष्ट्रिय आयुर्वेद दिन के नाम से भी घोषित किया है। क्यूंकि भगवान् धन्वंतरि को आयुर्वेद चिकित्सा का भगवान माना गया है। साथ ही यह दिन माँ लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमदेव की महत्व बताया गया है।

Dhanteras 2023: धनतेरस 2023 में कब है,जाने तिथि, पूजा, महत्त्व
Dhanteras 2023: धनतेरस 2023 में कब है,जाने तिथि, पूजा, महत्त्व

Dhanteras 2023: धनतेरस 2023 में कब है,जाने तिथि, पूजा, महत्त्व

धनतेरस 2023 में कब है?

धनतेरस 2021 में कब है?

हिन्दु धर्म में दिवाली की शुरुआत धनतेरस के त्यौहार से होती है। इस साल धनतेरस 10 नवंबर 2023 शुक्रवार को मनाई जाएगी। धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की तेरस पे मनाई जाती है।

धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

धनतेरस के दिन व्यक्ति अगर माता लक्ष्मी की पूजा करता है, तो उसके घर में लक्ष्मी पुरे साल बनी रहती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा के साथ कुबेर और यमदेव की भी पूजा का महत्व है।

धनतेरस का महत्व क्या है?

धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

इस दिन सोने, चांदी की चीज़े लेना बहुत शुभ माना जाता है। इससे धन दौलत में बढ़ोतरी होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसीलिए इसे धनतेरस के नाम से जाना गया है। इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदना भी शुभ है।

धनतेरस की पूजा कैसे करते हैं?

धनतेरस की पूजा कैसे करते हैं

एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी माता और कुबेर जी की प्रतिमा स्थापित करे और उनकी विधिवत पूजा करे। उन्हें रोली, अक्षत, फूल, माला आदि अर्पित करे। सफ़ेद मिठाई का भोग लगाए। धुप दीप जलाकर आरती करे और लक्ष्मी मंत्रो का जाप करे।

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धनतेरस की कहानी क्या है?

धनतेरस की कहानी क्या है?

एक बार भगवान विष्णु धरती पर भ्रमण करने निकले तब माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ जाने की ज़िद की।इसीलिए दोनों पृथ्वी पर आ पहुंचे। 

विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा की में दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा हु। तुम वहा मत आना और यही रहना। 

लेकिन माता लक्ष्मी ने उनकी बात नहीं मानी और चुपके से विष्णु जी के पीछे चलती गई। रास्ते में उन्होंने सरसो का खेत देखा, तो वही रूककर सरसो तोड़कर शृंगार करने लगी। 

उसके बाद आगे बढ़ी तो गन्ने का खेत देखा, तो वहा गन्ना तोड़कर खाने लगी। तभी वहा विष्णु जी आ पहुंचे और लक्ष्मी जी को वहा देख क्रोधित हो गए और उनको श्राप दे दिया, की तुमने किसान के खेतो से चोरी की है, उसके अपराध के रूप में अब तुम बारह वर्षो तक किसान की सेवा करती रहो।

उनके श्राप के कारन लक्ष्मी जी किसान के घर रहने लगी, उन्होंने किसान की पत्नी को माँ लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा अर्चना करने को बोला। 

किसान की पत्नी ने उनके कहे अनुसार पूजा की और उनका घर धन धान्य से भर गया। इस तरह बारह वर्षो तक किसान का घर धन धान्य से भरपूर रहा और सुख से गुजरा। 

बारह वर्ष ख़तम होने पर भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी को लेने आए। तब किसान ने हठ की की वह माता को नहीं जाने देगा।

माँ ने कहा की कल तेरस है। तुम घर की सफाई करके कल के दिन मेरी पूजा करोगे, तो में हमेशा यही रहूँगी और फिर किसान ने वही किया और उनका घर हमेशा धन धान्य से भरा रहा। तब से  ही धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा का अति महत्व है।

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