Yogini Ekadashi 2021: योगिनी एकादशी पूजा, विधि, व्रत कथा
वर्ष 2021 में योगिनी एकादशी कब है? एकादशी तिथि कब शुरू हो रही है और कब समाप्त हो रही है? योगिनी एकादशी व्रत? करने की पूजा विधि क्या है? ये सभी जानकारी जानेगे, योगिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध होता है।
योगिनी एकादशी का महत्व
योगिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?
मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्री नारायण की पूजा आराधना की जाती है आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है।
यह एकादशी पाप के प्रयास से जीत के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन श्रीहरि के ध्यान, भजन और कीर्तन से पापों से मुक्ति मीलती है। कहा जाता है कि अगर इस दिन उपवास रखा जाए और साधना की जाए तो हर तरह के पापों का नाश होता है।
योगिनी एकादशी की कथा
एक बार अलकापुरी नाम के नगरी में एक राजा रहता था ,वह शिव भक्त था। वह नित्य अपने माली द्वारा लाये गए सुंदर ,सुगंधित पुष्प नित्य अपने आराध्य भगवन शिव को चढ़ाता और पूजा अर्चना करता। एक दिन माली अपनी पत्नी के साथ समय व्यतीत करने में माली को समय का भान नहीं रहा। और राजा को फूल पहुंचना भूल गया। राजा ने अपने सैनिको को बुलवाया और कहा के माली आज क्यों नहीं आया इसका पता लगाओ। तब सैनिको ने इसका पता लगाके राजा को सारी बात बतलाई। माली को तुरंत प्रस्तुत किआ गया। राजा ने उसको कहा – तूने आज पुष्प ना लाके मेरे आराध्य भगवान शिव का अपमान किया है। में तुजे श्राप देता हु के तू इसी क्षण कश्ती कोढ़ी का जीवन व्यतीत करेगा। माली उसी क्षण गिर पड़ा।
एकबार वह अपनी तकलीफो से परेशान हो वह जंगल में विचरण कर रहा था। तब उसने मार्कण्डेय ऋषि का आश्रम देखा। माली ने मार्कण्डेय ऋषि को सारा वृतांत सुनाया ,माली द्वारा सच्चे वचन कहने से मार्कण्डेय ऋषि प्रसन्न होकर उसको योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा ,माली ने वह व्रत विधि पूर्वक संपूर्ण किया। और माली उस व्रत के प्रभाव के कारन उसका कोढ़ दूर हो गया और वह पहले के जैसा स्वस्थ हो गया ,और अपनी पत्नी के साथ ख़ुशी से जीवन व्यतीत करने लगा। तो इसलिए इस व्रत का अधिक महत्व बताया गया है।
योगिनी एकादशी पूजा विधि
एकादशी में पूजा कैसे करते हैं?
योगिनी एकादशी के दिन पूजा करने की विधि इस प्रकार है सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें, इसके बाद कलश स्थापना करें।
भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
इसके बाद श्री हरी और माँ लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते हुए पूजा करें और पूजा करने के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न, जूते या छाते का दान जरूर करें और योगिनी एकादशी के दिन, केवल जल और फल ग्रहण करके ही उपवास रखें और भक्ति वाली रात्रि में जागरण करें।
योगिनी एकादशी कब की है?
वर्ष 2021 में योगिनी एकादशी 5 जुलाई दिन सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। 4 जुलाई 2021 को सांसद बजकर 55 मिनट पर। और एकादशी तिथि समाप्त होगी। 5 जुलाई 2000 के किसको शाम को 10:30 पर एकादशी व्रत पारण करने का शुभ मुहूर्त होगा? सुबह 5:50 से लेकर सुबह 8:31 तक रहेगा।