Kajari Teej 2023: कजरी तीज कब है, जाने तिथि, महत्त्व और कथा

Kajari Teej 2023: कजरी तीज कब है, जाने तिथि, महत्त्व और कथा
आज हम बात करेंगे की कजरी तीज २०२3 में कब मनाई जाएगी ,कजरी तीज का क्या महत्त्व है, कजरी तीज कैसे मनाई जाती है, और कजरी तीज मानाने के पीछे क्या कथा, कहानी है। तो आइये जानते है।
कजरी तीज कब मनाई जाती है?
कजरी तीज पांचवे माह भादो के कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज मनाई जाती हे। कजरी हिन्दू धर्म की विवाहिता स्त्रीओ का विशेष त्यौहार है। कजरी तीज सितंबर 1, 2023 को 23:52:42 से तृतीया आरम्भ सितंबर 2, 2023 को 20:51:30 पर तृतीया समाप्त।
कजली तीज का क्या महत्व है?
दुसरे तीज त्यौहार की तरह इस तीज का भी महत्व है। हर सुहागन के लिए यह तीज महत्व पूर्ण है। इस तीज में सुहागन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। और कुंवारी लड़किया अच्छा वर पाने के लिए व्रत रखती है।
इस दिन हर घर मे झुला डाला जाता है, और औरते अपनी ख़ुशी इस झूले में झुलकर व्यक्त करती है। इसदिन औरते अपनी सहेलीओ के साथ मिलकर पुरा दिन नाच गान करती है। तीज का ये व्रत कजरी गानो के बिना अधुरा रहता है। कजरी गानो के बिना यह त्यौहार अधूरा है।
कजरी तीज कैसे मनाया जाता है?
इस दिन गेहू जव चना और चावल के सत्तु में घी मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाये जाते है। व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद तोड़ते है। और ये पकवान खा कर ही व्रत तोडा जाता है।
इस दिन गाय की पूजा की जाती है। आटे की सात रोटिया बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर गाय को खिलाया जाता है, और इसके बाद ही व्रत तोडा जाता है।
कजरी तीज की कथा
एक किसान के चार बेटे और बहुए थी। उनमे से तीन बहुए बहुत संपन्न परिवार से थी। लेकिन सबसे छोटी वाली गरीब परिवार से थी। उसके परिवार मे कोई भी नहीं था।
इसलिए जब यह तीज का त्यौहार आया, तब तीनो बहुओ के वहा से सत्तू आया और छोटी बहु के वहा से कुछ नहीं आया। इसलिए वह बहुत दुःखी हुई।
यह देखकर उसके पति ने उसको अपनी उदासी का कारण पुछा, तो उसने सब बताया और उसके लिए सत्तू लाने को बोला। उसका पति सत्तू लाने के लिए पूरा दिन घुमा पर उसे कुछ नहीं मिला और बिना लिए घर वापस आ गया, यह जानकर छोटी बहु बहुत दुःखी हुई।
अपनी पत्नी को उदास देखकर चौथा बेटा रात भर सो ना सका। अगले दिन तीज थी और सत्तू लाना जरुरी था। वह अपने बिस्तर से उठा और सत्तू लेने के लिए एक दुकान मे चोरी की इच्छा से घुस गया।
वह चने की दाल लेके उसे पीसने लगा जिसे आवाज़ होने पर दुकान का मालिक उठ गया। दुकानदार ने उसे पुछा तुम यहाँ क्या कर रहे हो, तब उसने अपनी पुरी गाथा उसे सुनाई, यह सब जानकर बनिए का मन पिगल गया और उसने बोला अब से तुम्हारी पत्नी का मायका मेरा घर है, तु अब घर जा, वह घर आकर सो गया।
अगले दिन सुबह ही बनिए ने अपने नौकर के हाथो चार तरह के सत्तू ,शृंगार और पूजा का सामान भेजा। यह देख छोटी बहुत खुश हुई।
उसकी तीनो जेठानिओ ने उसे पूछा यह सब किसने भेजा, तब वह बोली यह सब उसके धर्म पिता ने भेजा है। इस तरह भगवान ने उसकी सुनी और पूजा पूरी करवाई।
हमारे देश में इस तीज को हर जगह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। उतर प्रदेश और बिहार के लोग नाव पे चढ़कर कजरी तीज के गीत गाते है। वाराणसी और मध्यप्रदेश में इसे वर्षा गीत के साथ इसके गीत गाते हे। राजस्थान में इस तीज का बहुत महत्व है। उस दिन यहाँ बहुत धुमधाम होती है।