Lord Shiva and Ravana – रावण की शिव भक्ति के 2 अनोखे किस्से, जानिए कहाँ हुई रावण से ग़लती
Lord Shiva and Ravana , देवो के देव महादेव एक मात्र ऐसे देव है, जो की अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते है| शिव की भक्ति दैत्य, दानव और राक्षस सभी लोग करते है| पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ रावण शिव जी का सबसे बड़ा भक्त था, साथ ही वो क्रोधी, अहंकारी और जिद्दी भी माना जाता था| शिव जी और रावण से जुड़े कई ऐसे प्रसंग प्रचलित है, जिन्हें हम सब को जरुर जानना चाहिए| तो आइये जानते है, Ravana and Shiva Story in Hindi.
1. शिव तांडव स्त्रोत की रचना – Ravana and shiva story in hindi
पौराणिक कथाओं में ये कहा जाता है की एक बार महा शक्तिशाली रावण अपने पुष्पक विमान से यात्रा कर रहा था| तब उसके रास्ते में एक वन क्षेत्र आया| जहाँ शिव के गण नंदी ने रावण को रोका और चेतावनी दी की आगे वाले पहाड़ पर महादेव शिव जी का निवास है और भगवान और माता पार्वती पर्वत पर नृत्य कर रहे है| इसीलिए किसी को भी शिव जी के घर कैलाश पर्वत से गुजरने की अनुमति नहीं है|
अहंकारी रावण ने ये बात सुनकर नंदी और भगवान शिव का बहुत मजाक उड़ाया और अपने पुष्पक विमान से उतरकर पूरे कैलाश पर्वत को ही उठाने लगा| अपने प्रचंड क्रोध से द्रवित होकर क्रोधी रावण ने अपने 20 हाथ और 10 सिर कैलाश पर्वत के नीचे फंसा लिए और पर्वत को उठाने की कोशिश करने लगा| लेकिन जैसे ही कैलाश पर्वत कांपने लगा, माँ पार्वती ने डर से भगवान शिव को गले लगा लिया|
रावण की ये हरकत शिव जी को क्रोधित करने लगी और उन्होंने अपने अंगूठे से पूरे कैलाश पर्वत को नीचे दबा दिया, जिससे रावण इस पर्वत के नीचे फंस गया| रावण को जल्द ही एहसास हो गया की उसने ऐसे व्यक्ति को हैरान किया है, जो उससे कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है| शिव जी के क्रोध को शांत करने के लिए वो उनकी प्रशंसा करने लगा, जिसके लिए उसने 17 श्लोकों से युक्त शिव तांडव स्त्रोत रच डाला|
भोले भंडारी शिव जी को रावण का ये स्त्रोत काफी पसंद आया और उन्होंने रावण को कैलाश के नीचे से निकालकर क्षमा कर दिया| साथ ही उन्होंने रावण को ये आशीर्वाद भी दिया की तुम्हारा ये स्त्रोत हमेशा अमर रहेगा| और जो भी शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करेगा, उस इंसान को मेरी कृपा प्राप्त होगी| इस Ravana and shiva story in hindi के बाद ही रावण शिव जी का भक्त बन गया था|
2. Gola Gokaran Nath Mandir ki Kahani – Lord Shiva and Ravana Story
त्रेता युग की बात है, जब राम और रावण का युद्ध होने वाला था तब रावण ने अपनी तपस्या से शिव जी को प्रसन्न करना चाहा, ताकि वो उनसे युद्ध जीतने का वरदान मांग सके| रावण की तपस्या से शिव जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने ने शिवलिंग का आकार लेकर रावण को इस शिवलिंग को लंका में स्थापित करने का निर्देश दिया| जिसके साथ भगवान शिव जी ने एक शर्त ये भी रखी थी की रास्ते में कही भी इस शिवलिंग को अपने हाथों में से नीचे नहीं रखना है|
रास्ता बहुत दूर था और रावण को रास्ते में लघुशंका लगी तो उसने एक गड़रिये के हाथ में शिवलिंग दी और खुद लघुशंका करने चला गया| उसी वक्त भगवान् शिव ने अपना वजन बढ़ा लिया और गड़रिया शिवलिंग का भार उठा ना सका और उसने शिवलिंग को नीचे रख दिया| शिवलिंग वहां स्थापित हो गयी|
रावण ये बात समझ गया था की शिव जी लंका नहीं जाना चाहते थे ताकि राम युद्ध जीत सकें, और वो बहुत ज्यादा क्रोधित हो गया| उसने अपने बल का प्रयोग करते हुए शिवलिंग के ऊपर अपने अंगूठे से दबाव डाला जिससे उसमें गौ कर्ण यानी गाय के कान जैसा निशान बन गया| और वह स्थान आज गोकर्णनाथ के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध है|
क्रोधी होकर रावण गड़रिये को मारने के लिए उसके पीछे दौड़ा, अपनी जान बचाते हुए भागने के दौरान गड़रिये का पैर फिसला और वह एक कुएं में गिरकर मर गया| शिव की इस लीला में उस गड़रिये का पात्र होने की वजह से उन्होंने उसे यह वरदान दिया की यहाँ अब मेरी पूजा अर्चना करने के साथ लोग तुम्हारी भी पूजा करेंगे| उस घटना के बाद वह ग्वाला (गड़रिया) भूतनाथ के नाम से प्रसिध्द हुआ और वह नगरी ग्वाला गोकर्णनाथ के नाम से जानी जाने लगी|
आपको बता दें की रावण से अपनी जान को बचाते हुए वह गड़रिया जिस कुएं में गिरकर मर गया था, वह कुआ अभी तक मौजूद है और वहां श्रावण मास के तीसरे सोमवार को भूतनाथ मेला लगता है, जिसमे मीलों दूर से श्रध्दालु आते है|
उम्मीद करते है की आपको Lord Shiva and Ravana की ये दो प्रसिद्ध कहानियों से जरूर सीख मिली होगी, अगर हाँ तो ये Ravana and Shiva Story in Hindi अपने सभी दोस्तों और परिवारजनों को Share जरूर कीजिये, ताकि वे लोग भी शिव जी की महिमा जान सके, धन्यवाद |
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