सावन मास में क्या करें क्या ना करें? Savan Vrat 2022
सावन मास क्यों मनाया जाता है?
भगवान शिव को सावन मास बहुत ही प्रिय है। इस महीने में किए गए व्रत पूजा पाठ से भगवान शिव बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं, और आप बहुत शीघ्र भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो सावन मास में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा आराधना कीजिए।
आपके मन की कोई भी कामना हो, कोई भी इच्छा हो, इस विशेष मास में अगर आप भगवान शिव की आराधना करते हैं, उनका जलाभिषेक करते हैं, तो आपके मन की समस्त कामना बहुत ही शीघ्र भोलेनाथ पूर्ण कर देते हैं।
सावन मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इसलिए बहुत सारे ऐसे भक्त होते हैं, जो इस पूरे मास का व्रत रखते हैं। पूरे श्रावण मास का ही व्रत रखते हैं।
तो आज हम आपसे बात करने वाले हैं, कि अगर आप पूरे सावन मास का व्रत रखना चाहते हैं, तो व्रत के कौन से नियम होते हैं, जिनका आपको पालन करना चाहिए।
सावन मास में आपको क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किस प्रकार से हमें पूजा आराधना करनी चाहिए, किन नियमों का पालन करना चाहिए, भगवान शिव की पूजा में हम किन चीजों का प्रयोग करें, किन चीजों का त्याग करें, कौन से रंग के वस्त्रों का त्याग हमें इस मास में करना चाहिए, ये सभी बातें आज हम आपसे शेर करने वाले हैं, तो अंत तक ज़रूर बने रहिये।
सावन मास का हमारे शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व है, हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है, कि अगर सावन मास में भगवान शिव की थोड़ी सी भी पूजा आराधना की जाए, थोड़ा सा भी प्रयास किया जाए, भगवान की भक्ति अगर हम थोड़ी सी भी करते हैं, तो बहुत शीघ्र हमारी कामना पूर्ण हो जाती है।
मतलब जो हम बाकी के महिनों मे भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं, उसके बजाय सावन की पूजा आराधना का फल अधिक प्राप्त होता है, और बहुत शीघ्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो जाती है। क्योंकि इस महीने में भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं, और उनका प्रिय मास है।
तो इस महीने में जब हम भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, उनकी पूजा आराधना करते हैं, उनकी कृपा पाने के लिए कोई व्रत रखते हैं, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना करते हैं, पूरे शिव परिवार का हम अभिषेक करते हैं, आराधना करते हैं, तो भगवान शिव की कृपा से हमारे मन की कोई भी कामना हो वो पूर्ण हो जाती है।
तो इस महीने में लोग शीघ्र विवाह के लिए व्रत रखते हैं, या फिर संतान की प्राप्ति की अगर कामना है, तो इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा आराधना कीजिए।
दाम्पत्य जीवन में मधुरता नहीं है। परिवार में अगर कलह, क्लेश बहुत अधिक रहता है। पति पत्नी के रिश्तों में बहुत अधिक कलह, क्लेश रहता है, तो आपको भगवान शिव की पूजा आराधना, माता पार्वती की पूजा आराधना विधिवत प्रतिदिन करनी चाहिए।
बहुत शीघ्र आपके दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है, पारिवारिक रिश्ते बेहतर हो जाते हैं। परिवार से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है, धन संपत्ति का आगमन होता है, सुख समृद्धि में वृद्धि होती है, और मन की समस्त कामना पूर्ण हो जाती है, क्योंकि सावन मास भगवान शिव की कृपा पाने का सर्वश्रेष्ठ मास होता है।
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सावन व्रत के नियम
अब जानते हैं, कि इस मास के नियम क्या होते हैं। अगर आप व्रत करते हैं, तब तो इन नियमों का पालन करना ही है, लेकिन जो लोग व्रत नहीं करते हैं, उन्हें भी इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
अगर आप भगवान शिव की शीघ्र ही कृपा पाना चाहते हैं,अपने मन की कोई कामना है, जिसे पूर्ण करना चाहते हैं, तो इन नियमों का पालन करें तो बहुत अच्छा होगा।
सावन मास के बहुत आसान से नियम है, और बहुत आसानी से हम उनका पालन भी कर सकते हैं।
सावन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?
जैसे कि इस महीने में हमें तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए। तामसिक मतलब लहसुन, प्याज हमें अपने भोजन में प्रयोग नहीं करने चाहिए।
मांस, मदिरा का त्याग कर देना चाहिए और इस विशेष समय में जो लोग व्रत करते हैं, उनको विशेष रूप से इस महीने में मसूर की दाल का सेवन नहीं करना है, मूली नहीं खानी चाहिए, बैंगन नहीं खाना है और हमारे शास्त्रों का मानना है।
बासी खाना और जला हुआ भोजन भी तामसिक भोजन में ही आता है, तो ऐसे भोजन का भी हमें सावन मास में त्याग करना चाहिए।
विशेष रूप से सात्विक भोजन, शुद्ध भोजन मतलब उसी समय का बना हुआ भोजन हमें प्रयोग करना चाहिए।
रात का बचा हुआ खाना या सुबह का बचा हुआ खाना रात को ऐसे नहीं खाना चाहिए तो इस प्रकार से हमें खाने के नियमों का ध्यान रखना है।
शुद्ध सात्विक भोजन बनाकर हम खा सकते हैं। अब कुछ भक्त क्या करते है? अगर आप पूरे सावन मास का व्रत रखते हैं तो आप एक समय भोजन लेते हैं।
शाम के समय या सुबह के समय अपनी सुविधा के अनुसार जिसे भी समय भोजन करना चाहते हैं, आप एक समय भोजन का प्रण लेते हैं और फिर आप कृत का नियम करते हैं और कुछ भक्त दोनों ही समय भोजन लेते हैं जैसे दिन में दो बार भोजन लेते हैं।
लेकिन वो तामसिक चीजों का त्याग कर देते हैं तो ये नियम आप खुद ही निर्धारित करते हैं। आपके अपने ऊपर ही निर्भर करता है कि आप कितने शारीरिक रूप से सक्षम है।
इन नियमों का पालन करने के लिए तो अगर आप एक समय का भोजन करते हैं तो सुबह शाम दोनों समय कोई एक ही समय निश्चित कर लीजिए। और प्रतिदिन आपको उसी समय भोजन करना चाहिए।
दिन में आप फलाहार कर सकते हैं, कोई भी फल खा सकते हैं। इस महीने में दूध नहीं ग्रहण करना चाहिए।
इस समय में यानी सावन का महीना होता है तो से दूध से सिर्फ से सिर्फ भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, खुद उसका सेवन नहीं करते हैं।
तो इस तरह से आपको सावन के नियमों का पालन करना है। तो जिन चीजों का सेवन नहीं करना है वो हमने आपको बताया और जो चीजें आप खा सकते हैं जैसे फलों में आप कोई भी फल खा सकते हैं।
भोजन में सात्विक भोजन खा सकते हैं। एक समय भोजन करना है। चाहे तो दोनों समय व्यक्ति भोजन ले सकता है , पर भोजन सात्विक होना चाहिए।
सावन मास में क्या नहीं करना चाहिए?
सावन मास में किसी भी प्रकार से कलह, क्लेश से बचना चाहिए। आपके परिवार में वाद विवाद की स्थिती ना हो, आपस में कलह, क्लेश न हो इस बात का आपको ध्यान रखना चाहिए।
आपको आपको क्रोध नहीं करना है तो अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें। सावन का महीना है तो आप प्रण ले लीजिए कि आप इस महीने में क्रोध का त्याग कर देंगे।
जैसे कोई अपना दुर्गुण आप छोड़ना चाहते हैं तो इस महीने में आप उसका नियम लेकर उस पर आप प्रयास कर सकते हैं कि मैं इस चीज़ का त्याग करना चाहता हूँ और इस महीने में इसका सेवन नहीं करूँगा या करूँगी।
जैसे कि आप अगर मांस मदिरा का सेवन करते हैं तो आप पुरे महीने इसका त्याग कर दीजिए। सावन मास मे मांस मदिरा सेवन नहीं करूँगा। इस प्रकार से आप नियम लेकर भगवान शिव का अभिषेक और पूजा आराधना कर सकते हैं।
शिव को प्रसन्न कैसे करे?
अब हम जानते हैं, कि हम भगवान शिव की आराधना किस प्रकार से करें, जिससे कि भगवान शिव प्रसन्न हो।
तो हमें इस महीने में भगवान शिव की आराधना के लिए क्या विशेष करना चाहिए? अगर आपका साफ मास का व्रत है या व्रत नहीं भी है तो भी भगवान शिव के जो भक्त सुबह जल्दी उठ जाएं।
सुबह जल्दी का मतलब होता है सुबह ब्रह्म मुर्हत में उठना। जो नहीं उठपाते उन्हें भी प्रयास करना चाहिए कि सूर्य निकलने से पहले यानी सूर्योदय से पहले अवश्य उठ जाएं।
स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में आपको पूजा करनी है, जो नित्य पूजा होती दिन प्रतिदिन की वो सर्वप्रथम करी जाती है।
उसके बाद से आप विशेष जो पूजा करना चाहते हैं जैसे आप भगवान शिव का कोई मंत्र जाप करना चाहते हैं, या फिर मंदिर जाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहते हैं।
घर में अगर शिवलिंग है, उसका अभिषेक आप कीजिए। घर में अगर शिवलिंग नहीं है तो घर में आप शिव परिवार की पूरी फोटो रख सकते हैं, और आप उसकी पूजा आराधना कर सकते हैं।
सावन का पूजा कैसे किया जाता है?
भगवान शिव की पूजा में किन चीजों प्रयोग करना चाहिए। भोलेनाथ की पूजा आसान से बहुत से बहुत सरलता से हो जाती है।
जो चीजे भगवान शिव को प्रिय है, वो इस मास में भी से उपलब्ध हो जाते हैं, जैसे की बिल्व पत्र, भांग, धतूरा ,जल चाहिए, गंगाजल जरूर चाहिए और कच्चा दूध पंचामृत आपकी श्रद्धानुसार जिस भी चीज़ से भगवान शिव का अभिषेक जरूर करें।
वैसे तो भगवान भोलेनाथ लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं पर आपकी श्रद्धा है तो आप पंचामृत बनाये , दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर प्रतिदिन पंचामृत से अभिषेक करें।
आप इन चीजों का अलग अलग भी अभिषेक कर सकते हैं, या फिर आप पंचामृत बना लीजिए और फिर भगवान शिव का अभिषेक कीजिए। पंचामृत से अभिषेक से पहले आपको जल से अभिषेक करना है, और पंचामृत के बाद भी आपको जल से अभिषेक करना है, इस बात का आपको ध्यान रखना है।
पूजा विधि विधान से कीजिए भगवान शिव की प्रिय वस्तुए शिवलिंग पर अर्पित कीजिए।जैसे कि बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत जरूर होना चाहिए।
अक्षत मतलब चावल के दाने जो टूटे हुए ना हो ऐसे चावल के दानों का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में किया जाता है।
सफेद पुष्प शिव को प्रिय है तो सफेद पुष्प आप भगवान शिव को जरूर अर्पित कीजिए और सफेद मिठाई का भोग लगा सकते हैं।
आप फलों का भोग भगवान शिव को लगा सकते हैं। कोई भी फल जो इस ऋतु में उपलब्ध हो। ऐसे फलों का भोग भगवान भोलेनाथ को लगाए।
प्रतिदिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं। तो बहुत ही श्रेष्ठ होता है, लेकिन अगर मंदिर जाना संभव तो ना हो।
आप अपने घर में ही भगवान शिव की पूजा श्रद्धा भाव से करें। घर में शिवलिंग का अभिषेक कीजिए, शिवलिंग ना हो, तो आप चाहे तो मिट्टी का शिवलिंग बनाकर नित्य उसकी पूजा कर सकते हैं।
भगवान शिव को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
कुछ चीजों का हमें ध्यान रखना चाहिए। जैसे भगवान शिव को कुछ वस्तुए प्रिय है। ऐसे ही कुछ वस्तुएं भगवान शिव को बिल्कुल भी अर्पित नहीं करनी चाहिए ।
जैसे की हल्दी का उपयोग नहीं होता है, कुमकुम का प्रयोग नहीं होता है, केतकी का फूल भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए और तुलसी के पत्ते तो भगवान शिव की पूजा में या पूरे शिव परिवार पर ही अर्पित नहीं करनी चाहिए। इन चीजों का प्रयोग हम भगवान शिव की पूजा में बिलकुल ना करें।
शिव जी को कौन सा कलर पसंद है?
याद रखिये की पूरा सावन मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है। ये हरियाली का मास होता है, तो इस महीने में हमें हरे रंग के वस्त्र, हरे रंग की वस्तुएं अधिक से अधिक धारण करनी चाहिए। तो हरे रंग के वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा कर रखते हैं।
अगर आप पुरुष हैं तो सफेद रंग के वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते है। अगर आप महिला हैं सौभाग्यवती स्त्री है तो आप को सफेद रंग धारण नहीं करना है।
आपको रंग बिरंगे मतलब लाल, पीले, हरे, गुलाबी इस तरह के वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
आपको यह ध्यान रखना है कि इस विशेष मास में काले और नीले रंग के वस्त्र पुरे सावन मास नहीं पहनने चाहिए।
ये सर्वश्रेष्ठ होगा कि आप पूरे मास इन दो रंगों का त्याग कर दें। काले और नीले रंग का ये रंग एक तरह से नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं।
तो अगर आप इन रंगों का त्याग करके भगवान शिव की पूजा आराधना करते है ,तो बहुत शीघ्र भगवान शिव की कृपा हमें प्राप्त हो जाती है। तो इन बातों का ध्यान हमें रखना चाहिए।
पीरियड्स में सावन व्रत कैसे करे
जब हम व्रत रखते हैं। अगर आप एक महिला है और आप इस व्रत को करती है जैसे पूरे सावन मास का व्रत करती है और आपको पिरयड्स आ जाते हैं, तब आपको क्या करना है? ऐसे में व्रत के नियम ऐसे ही रहेंगे।
बस भगवान शिव की पूजा नहीं करनी है, शिव का अभिषेक नहीं करना है। आप मानसिक रूप से भगवान शिव के मंत्र का जाप कर सकते हैं। और इन सभी नियमों का पालन करेंगे।
विशेष दिनों में भी चार, पांच या 7 दिन जो भी आपका नियम है इस समय में आप पूजन नहीं कर सकते हैं, लेकिन बाकी का पालन आप उसी प्रकार से करेंगे।
सावन में क्या न करें?
दोस्तों सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है, और अगर पूरे सावन मास का व्रत रखते हैं तो आपको ध्यान रखना है, कि आप किसी भी प्रकार से किसी की निंदा न करें।
किसी की चुगली ना करें, किसी भी प्रकार से किसी की गलतियाँ न गिनाएं या किसी पर क्रोध न करें। किसीको अपशब्द नहीं बोलने है। किसी का दिल नहीं दुखाना है। क्यूंकि यह छोटी गलतिया हमारे व्रत के प्रभाव को और पुण्य फल को कम कर देती है।
इसके आलावा पुरे सावन मास व्रत में भगवन शिव के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का मन में उच्चारण चलते फिरते उठते बैठते करते रहे। यह श्रेष्ठ माना गया है।
अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने स्नेहीजनो को शेयर ज़रूर करिएगा। अंत तक बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
जय भोले नाथ।