मनसा देवी मंदिर का इतिहास | Mansa Devi Temple in Hindi
मनसा देवी मंदिर का इतिहास | Mansa Devi Temple in Hindi
उत्तरांचल के हरिद्वार के पहाडिओ में बसा माता मनसा देवी मंदिर का अधिक महत्त्व बताया गया है। मनसा देवी का अधिक महत्व इसीलिए भी है की यह देवी सर्पदोष दूर करती है। विष्णु पुराण के अनुसार मनसा देवी एक नाग कन्या थी। मनसा देवी की पूजा से धन संबंधी समस्या, रोगो से मुक्ति और घर की समस्त बाधा दूर होती है। तो चलिए जानते है मनसा देवी मंदिर से जुडी विस्तार से जानकारिया।
मनसा देवी की उत्पत्ति कैसे हुई?
भगवान शिव और माता पार्वती की एक पुत्री थी, जिसका नाम मनसादेवी था। यह मस्तक से उत्पन्न हुई थी, इसीलिए उनका नाम मनसा पड़ा। मनसा देवी को कश्यप ऋषि की पुत्री भी कहा गया है।
माना जाता है, की कश्यप ऋषि के मन से उत्पन्न होने के कारण देवी का नाम मनसा रखा गया। मनसा देवी के दो बड़े भाई और दो बड़ी बहने है। जिनका नाम क्रमशः कार्तिकेय, अयप्पा, देवी ज्योति और देवी अशोक सुंदरी है।
इनके छोटे भाई गणेश है। मनसादेवी का विवाह जरत्कारु के साथ किया था और उनसे उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम आस्तिक था।
मनसा देवी का मंदिर कहां है?
उतरांचल प्रदेश के हरिद्वार में मां मनसा देवी का मंदिर स्थित है। हरिद्वार में शिवालिक की पहाड़ियों पर मां मनसा देवी का मंदिर है। हरिद्वार में कई आध्यात्मिक मंदिर तथा पौराणिक स्थान प्रचलित है। जिसका बहुत महत्व है।
यह मंदिर चंडीगढ़ से 10 किमी दूर है, और पंचकुला से 4 किमी दूर है। हरिद्वार से यह 3 किमी की दूरी पर पड़ता है। मनसादेवी के मंदिर में नवरात्रि के दौरान मेले का अयोजन किया जाता है। यह मंदिर का विस्तार 100 एकड़ का है। राजा गोलासिह द्वारा इस मंदिर का निर्माण 1811 में करवाया गया था।
हरिद्वार में कौन कौन से मंदिर हैं?
हरिद्वार में माता के 3 शक्तिपीठ है। यह 3 शक्तिपीठों को सबसे ज्यादा चमत्कारिक माना गया है। एक शक्तिपीठ देवी चंडी का है, जो नील पर्वत पर है। दूसरा शक्तिपीठ माता पार्वती का है, जो दक्षेश्वर पर्वत पर है, तथा तीसरा शक्तिपीठ मां मनसा देवी का है, जो बिल्व पर्वत पर स्थित है।
मनसा देवी कौन थी?
मनसा देवी के लिए पुराणों में अलग-अलग मान्यत्ताए बताई गई है। कहा जाता है, मनसा देवी नागो के राजा वासु की बहन थी, अतः इनका नाम वासुकी भी है। इनको सर्पों की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। यह विष से भी अधिक शक्तिशाली मानी जाती है।
मनसा देवी वर्णन
मनसा देवी मंदिर में मां की दो मूर्तियां स्थापित की गई है। एक प्रतिमा में उनके तीन मुख और पांच भुजाए है, और दूसरे में आठ भुजाएं है। मां कमल और सर्प पर विराजित है, और उनकी गोद में उनका पुत्र आस्तिक है। उनके आसपास 7 नाग हमेशा उनके रक्षण के लिए होते है।
मनसा देवी का मतलब
मनसा देवी का मतलब होता है, मन की इच्छा पूरी करने वाली देवी। मां अपने भक्तो की इच्छाएं पूरी करती है, और मान्यता के अनुसार भक्तजन यहां आके पेड़ पर धागा बांधकर अपनी इच्छा रखते है, और इच्छा पूरी होने पर वापस आके इस धागे को खोलना होता है।
मनसा देवी मंदिर समय
बंगाल में तथा हरिद्वार में मनसा देवी की पूजा का बहुत महत्व बताया है। यह मंदिर सुबह 8 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। दोपहर 12 से 2 के बीच यह बंध रहता है।
झारखंड, बिहार और बंगाल में मनसा देवी को बहुत माना जाता है। यहां पर उनको विष की देवी के रूप में पूजा जाता है। भादो महीने में यहां पर पूरे महीने मां की स्तुति की जाती है।
मनसा देवी की कथा
महाभारत के अनुसार देखा जाए तो एक कथा प्रचलित है। पांच पांडव में से अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु और अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित था। परीक्षित राजा को तक्षक नाग ने काटा था और उनकी मृत्यु की थी। इसके प्रतिशोध के लिए परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागो के विनाश के लिए नागेष्ठी नामक यज्ञ किया था। तब मनसा देवी के पुत्र आस्तिक ने इस यज्ञ से नागो को बचाया था।
कहा जाता है, की युधिष्ठिर ने भी महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए मां मनसा देवी की पूजा की थी। और युद्ध में विजयी हुए थे।
विष्णु पुराण के अनुसार एक नागकन्या थी, जो मनसा के नाम से जानी गई।
ब्रह्मवैत पुराण में ऐसा उल्लेख है, की एक नागकन्या ने कई वर्षो तक भगवान कृष्ण तथा शिव की तपस्या की और तप के बाद उसने भगवान शिव से वरदान स्वरूप में वेदों का ज्ञान तथा कृष्ण मंत्र का ज्ञान मांगा और कृष्ण के दर्शन कर उनसे सदा ही पूजित होने का वर मांगा।
मनसा देवी मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं?
मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए 786 सीडीया चढ़नी पड़ती है। मां मनसा की पूजा मुख्य रूप से आदिवासी लोग करते है। इनको आदिवासियों की देवी के रूप में पूजा जाता है।
मनसा देवी मंदिर कहां-कहां स्थित है?
मां मनसा देवी मंदिर भारत में राजस्थान, कोलकाता, दिल्ली और हरियाणा में भी स्थित है।
मनसा देवी पूजा से क्या होता है?
मनसा देवी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सर्पदोष का विनाश होता है। मां की पूजा से भक्तो को धन संपत्ति की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। घर की बाधाओ को समाप्त करने के लिए मानसादेवी की पूजा करना अत्यंत लाभदायी माना जाता है। रोगों की मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मनसादेवी की पूजा करनी चाहिए।
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