जाने जन्माष्टमी पूजा कैसे करे, कृष्ण जन्माष्टमी 2021
जय श्री कृष्ण आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य दिवस और भगवान के प्रकट होने का उद्देश्य उनके भक्तों के संग सुंदर लीलाएं करना, जिनका स्मरण कर हम उनसे संबंध स्थापित कर उनकी सेवा करे, उनसे प्रेम करें, जो इस जीवन की परम सिद्धि है। इस पूरी भौतिक संसार की सृष्टि का एक ही उद्देश्य कि हम सभी भगवान के धाम वापस जाएं। उनकी सेवा में लगे, उनसे प्रेम करें, जिससे हम भी सदा-सदा के लिए प्रसन्न रहें।
इसलिए भगवान हर युग में स्वयं आते हैं। संभवामि युगे युगे! पर उन भगवान का सबसे कृपाशील स्वरूप है, अर्च विग्रह! क्योंकि भगवान को वैकुण्ठ में हम देख नहीं सकते, क्योंकि भगवान को अवतरित हुए आज से लगभग 5000 वर्ष बीत गये। और जब भगवान अवतार लेकर आते हैं, तभी तो हम जैसे बुद्धि जीव उन्हें पहचान नहीं पाते है।
वैसे तो परमात्मा के रूप में हम सबके भीतर में हैं, किंतु वो तो हम सब देख नहीं सकते हैं, पर भगवन एक रूप में प्रकट होते हैं, और वो है, ‘अर्च विग्रह’ हम प्रत्यक्ष रूप से भगवान की सेवा नहीं कर सकते, इसलिए भगवान इतने दयालु और कृपालु है, कि वह अर्च विग्रह का रूप धारण करते हैं, ताकि हम प्रेमपूर्वक उनकी सेवा कर सकें।
श्रीमद् भागवत में वर्णन है, कि आठ प्रकार के रूप में भगवान की अर्चना की जा सकती है। शैली, दारूमई, लोही, लेप्या, लेख्या,सेक्यती, मनोमय, और मणिमय। अर्थात शैली याने शिला, दारूमई याने लकड़ी, लोही याने धातु, लेप्या याने भूमि, लेख्या याने चित्र, सेक्यती यानि बालूके, और मनोमय अर्थात मनमे, व मणिमय यानी रत्न। और इन सब में ज्यादातर भक्त अपने घरों में धातु के विग्रह रखते हैं, जैसे श्रीराधा कृष्ण व उनके अन्य स्वरुप।
हमे ये सभी उत्सव मंदिर जाकर मनाने चाहिए और मंदिर में होने वाले सभी उत्सवों में भाग लेना चाहिए। किंतु किसी कारणवश यदि हम मंदिर नहीं जा पाते, तब हमें इन उत्सवों को घर में मनाना चाहिए और मुख्य उत्सव में भगवान का अभिषेक किया जाता है, वह आज हम घर पर ही जानेंगे कि अभिषेक और जन्माष्टमी पूजा कैसे करे? हम अपने घर में, अपने मंदिर में तथा किसी भी दिन पर अभिषेक कर सकते हैं।
जन्माष्टमी पूजा कैसे करे:
कृष्ण भगवान को क्या क्या चढ़ाया जाता है?
तो आज हम जानते है, की जन्माष्टमी जैसे अवसरों पर भगवान का अभिषेक किस प्रकार करते हैं। भगवान का अभिषेक विभिन्न प्रकार से होता है। आइए देखते हैं, अभिषेक में प्रयुक्त होने वाली सामग्री। अभिषेक की सभी सामग्रियों में तुलसी पत्र अनिवार्य है। पांच प्रकार के अभिषेक करने चाहिए।
1. शुद्धोदक अभिषेक: शुद्धोदक अभिषेक जिसमें हम शुद्ध जल से भगवान को स्नान कराएंगे।
2. पंचामृत अभिषेक: पंचामृत अभिषेक जिसमें दूध, दही, घी, शहद व मीठा पानी जिसमें शक्कर मिश्रित जल ले सकते हैं।
3. फलोदभिषेक: जिसमे हम फलों के रस से भगवान का अभिषेक करेंगे। हमने यहाँ पर खरबूजा चीकू, और तरबूज का रस लिया है? आप अन्य फलों के रस भी ले सकते हैं, किंतु स्मरण रहे कि वो खट्टे ना हो।
4. पुष्पाभिषेक: पुष्पाभिषेक के लिए विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प जितनी पुष्पों की आप व्यवस्था कर सके, उतना कर सकते हैं।
5. सहस्रधान स्नान: सहस्रधान स्नान हेतु छन्नी, फल तथा नारियल पानी।
अब अभिषेक के लिए प्रयुक्त होने वाली अन्य सामग्री जैसे शंख, जिसमें बताई गई सामग्री डालकर भगवान का अभिषेक करे, यदि शंख नहीं है, कोई बात नहीं, आप बर्तन से ही सीधे अभिषेक कर सकते हैं।
लड्डू गोपाल का अभिषेक कैसे किया जाता है?
घंटी आचमन के लिए बर्तन जिसमें शुद्ध जल भरा हुआ होना चाहिए, खुशबूदार फूलों, या सूखे मेवे की मालाएं, भगवान को पहनाने के लिए। यहाँ पर गोपालजी और भगवान श्री राधा कृष्ण के सुंदर विग्रह जो स्नान वेदी में हमारी सेवा स्वीकार करने के लिए तैयार करे।
अब अभिषेक प्रारंभ करें, जिसमें सर्वप्रथम शुद्धोदक स्नानं भगवान को कराएंगे। अब पंचामृत स्नान: जिसमें सर्वप्रथम दूध, दही, घी, शहद, फिर शक्कर मिश्रित जल से भगवान को अभिषेक कराएंगे। फलोदकभिषेक: अब फलो के रस से अभिषेक कराएँगे। अब सहस्त्रधारा स्नान: जिसके लिए हम छन्नी में साफ पानी में धुले हुए फल रखेंगे और ऊपर से शुद्ध जल डालकर भगवान को अभिषेक कराएंगे। पुष्पभिषेक: जिसमें भगवान को सुंदर खुशबूदार पुष्प अर्पित करेंगे। एक के बाद एक हम पुष्पों की वर्षा भगवान पर करेंगे। हमारी अभिषेक सेवा संपन्न होती है। श्रृंगार: अब हम नए वस्त्रों और आभूषणों से भगवान का शृंगार करेंगे।
आरती: अब हम करेंगे भगवान की आरती। आरती की थाली जिसमें अगरबत्ती या धूप, दीपक, अर्घ्य के लिए शंख, वस्त्र, पुष्प, चामर, मोरपंख, घंटी, जल का लोटा। यदि इन सब की व्यवस्था नहीं हो पाती तो केवल धूप या अगरबत्ती, दीपक और पुष्प से आरती कर सकते हैं। वहीं आरती करते समय हर सामग्री को भगवान को पूर्ण श्रद्धा से अर्पित करेंगे। तो इस तरह आरती के साथ ही भगवान का अभिषेक संपन्न होता है।
चरणामृत का महत्व क्या है?
ध्यान रखें कि चरणामृत वेस्ट ना हो। चरणामृत महत्व शास्त्रों में बताया गया है, कि भगवान श्री विष्णु के चरणों का अमृत रूपी जल समस्त पाप व्याधियों का नाश करने वाला होता है, तथा यह औषधि के समान है। जो चरणामृत पीता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता, क्योंकि जल तब तक ही केवल जल रहता है। जब तक भगवान के श्री चरणों से नहीं लगता। जैसे ही चरणों से लगा तो अमृत रूप होकर चरणामृत बन जाता है।
भगवान की वितरण सेवा करते हुए सबसे महत्वपूर्ण बात ये स्मरण रखने योग्य की भगवान भावग्राही हैं। वे हमारे हृदय के भाव को स्वीकार करते हैं, वह यदि आप प्रेम से भगवान की सेवा करते हैं, तो आप अर्चन सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात आप किसी जन्म के तुरंत पश्चात भगवान के धाम को प्राप्त कर सकते हैं, जो इस जीवन का परम लक्ष्य है।
वह हम आशा करते हैं, कि हमारा यह प्रयास आपको भगवान की अभिषेक सेवा में सहायक सिद्ध होगा। नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जिस प्रकार नंद महाराज के घर पर भगवान श्री कृष्ण अर्थात स्वयं आनंद का प्रागट्य हुआ, उसी प्रकार हम प्रार्थना करते हैं, इस जन्माष्टमी आप सभी को श्रीकृष्ण के चरणों की प्रेममयी भक्ति प्राप्त हो, जिससे आपके घर और जीवन में आनन्द और उमंग का प्राकट्य हो जाए। धन्यवाद। हरे कृष्ण।