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गरुड़ देव जन्म कैसे हुआ | Garud dev ki janm katha

गरुड़ देव जन्म कैसे हुआ
गरुड़ देव जन्म कैसे हुआ | Garud dev ki janm katha

गरुड़ देव जन्म कैसे हुआ | Garud dev ki janm katha

ऋषि कश्यब की दो पत्निया थी ,एक का नाम विनता और दूसरी का कद्रु नाम था। एक बार ऋषि कश्यब ने पुत्रो की प्राप्ति की इच्छा हुई, और उनकी पत्नी कद्रु से पूछा की तुम्हे कितने पुत्र चाहिए, तब कद्रु ने कहा मुझे बहुत सारे पुत्र चाहिए ,उससे में मेरे सारे कार्य सिद्ध करवा सकू।

फिर ऋषि कश्यब ने विनता से पूछा के तुम्हे कितने पुत्र चाहिए ,तब विनता ने कहा – मुझे केवल दो पुत्र चाहिए जो कद्रु के सभी पुत्रो से अधिक शक्तिशाली और बलवान हो।

तब ऋषि कश्यब ने दोनों पत्नियों की इच्छा का मान रखते हुवे ,यग्न करने चले गए। यग्न समाप्त होने के बाद कद्रु को हज़ार पुत्रो की प्राप्ति हुवी ,उन्हें हज़ार अंडज प्राप्त हुवे ,कद्रु ने सारे अंडो को गरम पानी में रखकर उनका पालन पोषण करने लगी।

दूसरी और विनता को दो अंडे मिले ,फिर कश्यब ऋषि ने विनता को कहा – यह दोनों अंडज को संभलकर रखना और कुछभी होजाए अपना धैर्य नहीं खोना। ऐसा कहकर ऋषि कश्यब तपस्या करने चले गए।

अरुण का जन्म:

फिर कद्रु के सारे अंडज मेसे एक एक कर हज़ार सर्प के समान पुत्र बहार आने लगे ,वह नित्य उनके साथ खेलती रहती, और वह बहुत खुश थी।

यह देखकर विनता को अच्छा नहीं लगता ,क्युकी उसके पुत्र अभी भी अंडो में से नहीं निकले थे ,तब अक्सर कद्रु विनता को चिढ़ाती रहती ,विनता को बड़ा गुस्सा आता पर वह क्या करती ,एकबार विनता को बड़ा क्रोध आया और एक अंडा उठाकर जमीं पर फेक दिया ,यह देखने के लिए के अंदर कुछ हे भी या नहीं।

विनता को मिला श्राप:

तब अंडे में उन्हें उनका पुत्र जो बाद में अरुण नाम पड़ा ,वह उत्पन्न हुवा और अरुण ने कहा – पिताजी के कहने पर भी आपने धैर्य नहीं रखा ,और मेरा पूरी तरह पोषण नहीं होने दिया ,में आपको श्राप देता हु की आप जीवन भर सेविका बनकर रहेगी।

गरुड़जी का जन्म:गरुड़ देव जन्म कैसे हुआ

फिर विनता को अपने ही पुत्र के श्राप के कारन कद्रु की सेविका बनना पड़ा। फिर दूसरे अंडे मेसे गरुड़ देव का जन्म हुवा, उनका स्वरूप मुख और चोंच चील पक्षी के समान था ,वह बहुत शक्तिशाली होने के साथ साथ वह अपने रूप को किसी भी स्वरूप में बदलने की भी शक्ति रखते थे ,और गरुड़ देव इंद्र देव से भी अधिक शक्तिशाली और बलवान थे। पक्षिओ में गरुड़ को सबसे तेज़ और बुद्धिमान बताया गया है। वह भगवन विष्णुजी के वाहन भी है।


गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?

किसी की मृत्यु के पश्चात् गरुड़ पुराण पढ़वाना चाहिए।

गरुड़ भगवान कौन थे?

गरुड़ भगवन ऋषि कश्यब के पुत्र थे।

गरुड़ की उत्पत्ति कैसे हुई?

ऋषि कश्यब ने यज्ञ से अंडो की प्राप्ति की और गरुड़ देव की माता को विनता को दे दिया ,विनता ने देखरेख की औरउन अंडे में से गरुड़ देव का जन्म हुवा।

सर्पों की माता कौन थी?

ऋषि कश्यब की पत्नी कद्रू सर्पो की माता थी।

विष्णु भगवान की सवारी कौन है?

विष्णु भगवान् की सवारी गरुड़ है।

गरुड़ के भाई का नाम क्या था?

गरुड़ के भाई का नाम अरुण था।


यह भी पढ़े:

विष्णु वाहन गरुड़:(Garuda)

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