करवा चौथ 2021: जाने तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा, महत्व
करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओ के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत महिलाए अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है।
2021 में करवा चौथ का व्रत कब है?
करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 24 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा।
करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है?
यह व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्र निकलने तक रखा जाता है। इस व्रत में स्त्रियाँ सूर्योदय से लेकर चाँद निकलने तक निर्जल व्रत करती है। शाम को चाँद निकलने के बाद पूजा करके ही अपने व्रत का पारण करती है। चाँद देखे बिना यह व्रत अधूरा है।
करवा चौथ की पूजा कैसे करी जाती है?
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साँस द्वारा भेजी सरगी खानी चाहिए। सरगी में प्याज़ या लहसुन नहीं खाना चाहिए।
सरगी खाने के बाद करवा चौथ का निराहार व् निर्जल व्रत शुरू हो जाता है और फिर शाम को पूजा करनी चाहिए।
इस दिन भगवान शिव, पार्वती माता, गणेश जी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। घर के मंदिर की दिवार पर गेरू और चावल पिसकर करवा चित्रित करे।
माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में गणेश जी की प्रतिमा को बिठाए। माता पार्वती का सुहाग सामग्री से शृंगार करे।
करवे में पानी भरकर शिवजी और पार्वती जी की पूजा आराधना करे और व्रत कथा पढ़े या सुने। उसके बाद रात को चाँद निकलने के बाद चाँद की पूजा करके पति द्वारा जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण करे।
करवा चौथ की कथा
एक समय में एक शाहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सातो भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। उनकी सात पत्नियाँ और उनकी बहन करवा चौथ का व्रत रखते थे।
एक बार उन सबका व्रत था। उस दिन जब सातो भाई खाना खाने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को खाना खाने को बोला तब बहन ने कहा चाँद आने के बाद जल देकर ही खाना खायेगी।
तब भाईओ ने नगर के बहार जाकर एक पर्वत के ऊपर लकड़े पर अग्नि जलाई और उसके प्रकाश को दिखाकर बहन को बोले की चाँद आ गया है।
तब बहन वह देखकर चाँद समझकर जल देकर खाना खाने बैठ गई। जैसे ही उसने खाना खाया ससुराल से समाचार आया की उसका पति बीमार है।
तब वह तुरंत अपने ससुराल जाने निकली , उसकी माँ ने बोला रास्ते में जो भी मिले सबके पैर छूना और जो भी तुम्हे सौभाग्य वती का आशीर्वाद दे वही अपने पल्लू में गांठ बांध लेना।
वह रास्ते में सबके पैर छूती गई और सब ने उसे सदा सुखी रहो का आशीर्वाद दिया। जब वह ससुराल पहोची तब घर के बहार ही छोटी ननद मिली उसने उसके पैर छुए तब छोटी ननद ने सौभाग्य वती का आशीर्वाद दिया।
जैसे ही वह घर में गई उसने देखा उसका पति मर गया है। वो बहोत रोइ। उसके बाद उसने उसके पति को कही ले जाने नहीं दिया और अपने मरे पति को एक झोपड़े में रखकर रहने लगी।
उसकी ननद उसे रोज़ खाना दे जाती थी। उसने हर महीने चौथ की और हर चौथ पे चाँद को जल देकर ही खाना खाती थी।
एक बार एक चौथ पे चौथ माता आई और उसने बताया की कार्तिक की चौथ उसे नाराज़ है। तो वह कार्तिक की चौथ ज़रूर करे।
जब कार्तिक की चौथ आई। उसने विधि पूर्वक व्रत रखा और चाँद को जल देकर ही जल ग्रहण किया। तब कार्तिक की चौथ माता आई।
उसने माता से अपना सुहाग वापस माँगा। तब माता ने बोला की तूने व्रत को अधूरा छोड़ दिया था।तेरे सात भाई है इसीलिए तुजे अपने पति की कोई ज़रूरत नहीं है, तब उसने माता से माफ़ी मांगी।
माता ने प्रसन्न होकर तुरंत ही उसके पति को जीवित कर दिया और उसका सुहाग उसे लौटा दिया।
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