विवाह कितने प्रकार के होते हैं?

वैदिक काल में विवाह के प्रकार
वैदिक काल में विवाह के प्रकार

प्राचीन हिन्दू विवाह के प्रकार

शास्त्रों में विवाह के आठ प्रकार बताए गए हैं, जिनमें पहले चार विवाह प्रशंसनीय है, और बाकी के चार विवाह निंदनीय माने गए हैं। तो आज हम बात करेंगे की कौन से आठ विवाह है और कौन से विवाह कितने प्रशंशनीय और कौन से निंदनीय बताये गए है। तो अंत तक ज़रूर बने रहिएगा। 

1. ब्रह्म विवाह

ब्रह्म विवाह क्या है?

प्रशंसनीय विवाह में सबसे पहले ब्रह्म विवाह आता है। इस विवाह को सर्वोत्तम विवाह माना जाता है, क्योंकि इस विवाह में कन्या के माता पिता अपनी कन्या के लिए एक ऐसा वर ढूंढते हैं, जो कि सुयोग्य, सुशील, और उसी वर्ण का होता है, जिस वर्ण की कन्या होती है।

जैसे कि कन्या और उसके माता पिता अगर ब्राह्मण वर्ग के हैं तो वर भी ब्राह्मण वर्ग का ही होना चाहिए। इस विवाह में वर और वधु दोनों के माता पिता, गोत्र, परंपरा और मर्यादाओं का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं। इस विवाह के अनुसार कन्या का पिता सुयोग्य वर को अपनी पुत्री विवाह के अंतर्गत संकल्प पूर्वक दान करता है।

2. दैव विवाह

देव विवाह किसे कहते है?

दोस्तों, दूसरे क्रम में जो विवाह आता है, उसे देव विवाह कहते हैं। दैव विवाह वह विवाह होता है, इसमें किसी यज्ञ के पूर्ण हो जाने के बाद में उस यजमान द्वारा यज्ञ में बुलाए गए ब्राह्मण को उस ब्राह्मण के ही वर्ण की सजातीय कन्या का दान कर विवाह कर देना होता है। दोस्तों यह विवाह दैव विवाह की श्रेणी में आता है।

3. आर्श विवाह

आर्ष विवाह क्या है?

दोस्तों तीसरे क्रम में जो विवाह आता है, उसे आर्श विवाह कहते हैं। दोस्तों आज विवाह में जो ब्राह्मण विवाह करके अग्निहोत्र करना चाहता है, वह विवाह आर्श विवाह कहलाता है।

इस विवाह में जो वर होता है, वह कन्या के पिता को एक गाय एवं एक बेल अर्पित करता है, जिससे कि वह अपनी अग्निहोत्र करने की क्षमता को दिखाता है।

क्योंकि एक गाय और एक बेल वही दान कर सकता है, जिसके पास 10 गाये हो, यह दान करने का विधान बताया गया है। इसलिए दोस्तों इसे वर्ग के अग्निहोत्री करने की क्षमता का प्रदर्शन होता है।

क्योंकि अग्निहोत्र करने के लिए गाय की परम आवश्यकता होती है, और जिसके पास अगर गाय ही नहीं होगी, तो वह अग्निहोत्र क्या करेगा? इसलिए इस प्रकार के विवाह में एक गाय और एक बेल देने का विधान बताया गया है।

4. प्रजापत्य विवाह

प्रजापत्य विवाह क्या है?

अब दोस्तों चतुर्थी क्रम में विवाह आता है, उसे प्रजापत्य विवाह करते हैं। प्रजापत्य विवाह ब्रह्म विवाह की तरह ही होता है, बस इसमें एक अंतर होता है, और वह अंतर यह होता है, कि कन्या का पिता अपनी कन्या का हाथ उस वर के हाथ में देता है।

जिसके पिता का व्यवहार बहुत ही अच्छा होता हैं। जो की उच्चकुल, जाति और परंपरा का होना चाहिए। दोस्तों इस प्रकार के विवाह में वर से अधिक उसके पिता को महत्ता दी जाती है।

5. गंधर्व विवाह

गंधर्व विवाह क्या होता है?

अब दोस्त पांचवें क्रम में जो विवाह आता है। वह गंधर्व विवाह है। दोस्त गंधर्व विवाह को निंदनीय विवाह भी माना जाता है, क्योंकि इस प्रकार के विवाह में माता पिता की अनुमति के बिना वर और वधु एक दूसरे के साथ में विवाह कर लेते हैं। और इसके बाद में वे अपने माता पिता को इसकी सूचना देते हैं।

दोस्तों इस प्रकार के विवाह को निंदनीय विवाह इसलिए माना जाता है, क्योंकि इस प्रकार का विवाह केवल कामोउत्तेजना की शांति के लिए किया जाता है, और इस प्रकार के विवाह को आज के युग में प्रेम विवाह या फिर लव मैरिज भी कहा जाता है।

6. असुर विवाह

असुर विवाह क्या है?

दोस्तों अब छठे क्रम में जो विवाह आता है, उसका नाम है, आसुर विवाह दोस्तों इस प्रकार के विवाह में कन्या को उसके पिता से मूल्य देकर खरीदा जाता है और इसके बाद में उससे विवाह किया जाता है।

दोस्तों इस प्रकार के विवाह को भी निंदनीय विवाह माना जाता है, क्योंकि इस प्रकार के विवाह से वर पक्ष के पितृऋण का भार नहीं उतरता है।

७. राक्षस विवाह

राक्षस विवाह क्या है?

दोस्तों, अब सातवें क्रम में विवाह आता है। उसका नाम है, राक्षस विवाह, दोस्तों इस प्रकार के विवाह में कन्या की अनुमति के बिना यदि वर कन्या का अपहरण कर लेता है, और उसके साथ वे जबरन विवाह करता है, तो इस प्रकार की विवाह को राक्षस विवाह कहा जाता है। दोस्तों यह विवाह भी निंदनीय माना गया है।

8. पैशाच विवाह

पैशाच विवाह क्या है?

अब दोस्तों आठवें क्रम में जो विवाह आता है, उसे पैशाच विवाह कहा जाता है। दोस्तों, इस प्रकार की विवाह को भी निंदनीय विवाह माना गया है, क्योंकि इस प्रकार के विवाह में कन्या को निद्रा की अवस्था में या फिर मानसिक दुर्बलता की अवस्था में या फिर मदहोशी की अवस्था में अपहरण कर लिया जाता है, और उसके बाद में उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करके जबरदस्ती उसके साथ विवाह किया जाता है। इस प्रकार के विवाह को पैशाच विवाह कहा जाता है, यह विवाह सबसे निंदनीय माना गया है।

हम आशा करते है की हमारे शाश्त्रो में बताये गए आठो विवाहो की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी , आपका यहाँ तक बने रहने के लिए, धन्यवाद। 

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