रमा एकादशी 2023: रमा एकादशी व्रत कथा

रमा एकादशी 2023: रमा एकादशी व्रत कथा
रमा एकादशी 2023: रमा एकादशी व्रत कथा
रमा एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है। इस साल यह एकादशी गुरुवार, 9 नवंबर, 2023 को आएगी।  यह एकादशी अत्यंत पवित्र और मंगलमय है।  यह एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति सारे पापो से मुक्त होकर आध्यात्मिक जगत को प्राप्त करता है।

करमा एकादशी व्रत कथा

पुराणों में कहा गया है की मुचुकंद नाम का एक राजा पृथ्वी पर राज्य करता था। यह राजा इन्द्र , वरुण , यमराजा सबका परम मित्र था और भगवान विष्णु का परम भक्त था। वैदिक सिद्धांतो का शिष्ट बंध पालन करने से उसका राज्य सुख समृद्धि से भरपूर था। उसकी एक पुत्री थी।  उसका नाम चंद्रभागा था। विवाह के योग्य होने से राजा ने अपनी पुत्री का विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र शोभन से करवाया। उनका दाम्पत्य जीवन अच्छा था। एक बार चंद्रभागा अपने पिता के घर आई और थोड़े दिनों बाद शोभन भी राजा मुचुकंद के राज्य में पधारे।  वह दिन एकादशी का था। मुचुकंद राजा के राज्य में एकादशी का व्रत सभी लोग , प्राणी , पक्षी करते थे।

इस राज्य में यह व्रत करना अनिवार्य था।  उस  दिन किसी को भी भोजन नहीं मिलता था।  शोभन की शारीरिक अवस्था ठीक नहीं थी इसीलिए वह एकादशी का व्रत नहीं कर सकता था परंतु फिर भी शोभन ने राजा को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत रखा।  उसके परिणाम से जो भय था वह हुआ।  पूरा दिन भोजन ना मिलने से उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन यह व्रत करने से उसकी मृत्यु के बाद वह मन्द्राचल पर्वत के उच्च राज्य का शाशक बना। उसका राज्य देवताओ के समान तेजस्वी था।  उसका राज्य में  हीरे और मानेक से बनी दीवारे थी और सुख , समृद्धि और ऐश्वर्य भरपूर था।एक बार राजा मुचुकंद के राज्य का एक ब्राह्मण भ्रमण करते करते शोबन के राज्य में आ पंहुचा और शोभन को देख अत्यंत आश्चर्य चकित हुआ।  शोभन ने उन्हें देख उनको प्रणाम किया और कहा की उसके रमा एकादशी के व्रत के फल स्वरुप ही उसे यह राज्य मिला है। परंतु यह राज्य स्थायी नहीं हे क्युकी उसने एकादशी का व्रत किया था पर श्रद्धा पूर्वक नहीं किया था। तब वह ब्राह्मण अपने राज्य में वापस आकर चंद्रभागा को पूरी बात बताई।  चंद्रभागा बहुत खुश हुई और उसने अपने इतने सालो के व्रत का फल अपने पति शोभन को देने का निर्णय किया ताकि उसका राज्य स्थायी हो जाये।  तब चंद्रभागा वह ब्राह्मण के साथ शोभन के राज्य में आई और उसने अपने सारे एकादशी व्रत का फल अपने पति को दिया।  और वह राज्य स्थायी हो गया।  दोनों ने मिलके कही सालो तक इस राज्य में सुख समृद्धि के साथ जीवन बिताया। 

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