गणेश चतुर्थी कब है: जाने तिथि, स्थापना विधि,और व्रत कथा

गणेश चतुर्थी व्रत 2023 में कब है?
गणेश चतुर्थी भाद्र पद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी 2023 मे गणेश उत्सव का 19 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी से होगा. इसकी समाप्ति 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्थी पर होगी. आखिरी दिन बप्पा की मूर्ति का विर्सजन होता है.
इसी दीन गणपति की स्थापना होगी, यह त्योहार 10 दीन का होता है। गणपति जी का यह जन्म दिवस 10 दीन तक मनाया जाता है। गणपति स्थापना के दिन ही गणेश जी की लोग बहोत सारे पकवान और प्रार्थना से स्वागत करते है।
गणेश चतुर्थी व्रत कथा
एक समय भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर बैठे थे। वहा समय व्यतित करने के लिए चौपड़ खेलने को माँ पार्वती ने कहा। पर वह खेल का निर्णय करने के लिए कोई नहीं था।
तब शिवजी ने कुछ तिनके इकट्ठे करके एक पुतला बनाया और उसमे प्राण डाले, उसमे से एक लड़का जीवित हुआ।
भगवान शिव ने उसे उनके खेल का निर्णय करने के लिए कहा। उसके बाद भगवान शिव और माँ पार्वती चौपड़ का खेल तीन बार खेले और तीनो बार माँ पार्वती जीत गए।
शिवजी ने लड़के से खेल का निर्णय सुनाने को बोला तब लड़के ने शिवजी को विजयी बताया। माता पार्वती यह सुनकर नाराज़ और गुस्सा हो गयी और उन्होंने लड़के को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का शाप दे दिया।
तब बालक ने बोला की मेने यह निर्णय अज्ञानता से ले लिया है तो मुझे माफ़ करे। तब माता पार्वती ने उसे कहा, यहाँ गणेश पूजन के लिए नाग कन्याए आएगी, उनके कहे अनुसार गणेश व्रत करो और तब तुम मुझे प्राप्त करोगे।
एक साल के बाद नाग कन्याए उस स्थान पर आई। उस कन्याओ से गणेश व्रत की विधि मालूम करके उस लड़के ने 21 दिनों तक गणेश जी का व्रत किया।
उसकी श्रद्धा देख गणेश जी प्रसन्न हुए और लड़के को मनचाहा वर मांगने को कहा। लड़के ने गणेश जी से अपने माता पिता के साथ अपने पैरो पे चलके कैलाश पर्वत पर जाने का वर मागा।
गणेश जी वर देके अन्तर्धान हो गए। लड़का कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। और भगवान महादेव को उसने अपनी कथा सुनाई।
उस दीन से माता पार्वती शिवजी से रूठ गई। देवी के रूठने से भगवान शिव ने भी लड़के के कहे अनुसार गणेश जी का 21 दिनों तक व्रत किया और उसके प्रभाव से माता के मन से नाराजगी समाप्त हो गई।
यह व्रत विधि शिवजी ने पार्वती जी को सुनाई , यह सुनकर माँ पार्वती को भी बेटे कार्तिकेय से मिलने की इच्छा हुई।
तो माता ने भी 21 दिनों का व्रत किया तब 21 मे दीन स्वयं कार्तिकेय माँ पार्वती से मिलने पहुंच गए। तब से गणेश चतुर्थी का व्रत मनोकामना पूर्ण करने वाला व्रत माना जाता है।
गणेश जी की स्थापना कैसे करें घर पर?
गणपति जी की स्थापना के लिए सबसे पहले एक पटरा लेके उसपे लाल कपडा लगा ले। उसपे एक मुठ्ठी अक्षत रख दे। और उसपे गणपतिजी को बिराजे और बोले ‘गणपति बापा मोरया’ फिर उनको गंगा जल से स्नान कराए।
उसके बाद वस्त्र धारण कराए। उसके बाद कलश की स्थापना करे। कलश की स्थापना करने से पहले स्वस्तिक ज़रूर करे।
बाद मे एक नारियल लेके उसपे धागा बांधेऔर उसे कलश के ऊपर स्थापित करे। उसके बाद गणेश जी को भोग लगाए।
भोग मे केला और मोदक अवश्य रखिए। गणेश जी को धुरवा घास बहुत प्रिय है तो उन्हें धुरवा घास चढ़ाए। उसके’बाद गणपति जी के चरणों में सुपारी रखे।
सुपारी भी पूजा में बहुत शुभ माना जाता है। सुपारी को एक पत्ते में बांधकर उसपे लॉन्ग लगाकर उनके चरणों में रखे। गणेश जी को गेंदे के फूलो की माला चढ़ाए।
उसके बाद गणपति जी को तिलक करे। इस विधि के समय ‘ॐ गण गणपते नमः ‘ का जाप करते रहे। और फिर गणेश जी के सामने अखंड ज्योत जलाए और प्रार्थना करे की गणपति जी इस साल हमारे घर जरूर पधारे और सुख समृद्धि लाए। फिर धुप जलाकर आरती करे।
स्थापना के बाद गणेश जी को 10 दीन रखकर उनकी विदाय की जाती है। लोग बाप्पा को अपनी इच्छा के अनुसार 5, 7, या 10 दिनों तक भी बिराजमान करते है।
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