इस मूवी की कहानी यूं तो सबको पता है ही, लेकिन ये जान लें कि कहानी पृथ्वीराज रासो से ही ली गई है यानि आपको पता ही है.

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जनश्रुति है कि वह 11 साल में अजमेर के राजा बने और जवानी में ही शहीद हो गए। अक्षय कुमार को इस युवा राजा के रूप में लेना ही फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है।

शुद्ध हिंदी बोलना उनके लिए चुनौती रही है। अनुस्वार का उच्चारण उनसे होता नहीं है। एक राजा की आन, बान और शान के हिसाब से वह अपनी चाल ढाल तो बदलते हैं

लेकिन उनकी संवाद अदायगी उनकी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है। कोरोना संक्रमण काल में ‘मसीहा’ का तमगा पाने वाले सोनू सूद को ऐसे किरदारों में देखकर उनके प्रशंसकों को अच्छा नहीं लगेगा।

संजय दत्त ने अपनी पिछली फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ में जो कमाया था, वह सब यहां गवाया है। मानव विज और आशुतोष राणा अपनी तरफ से पूरी मेहनत करते हैं

लेकिन उनसे हिंदी सिनेमा के दर्शकों को उम्मीदें और ज्यादा रहती हैं। फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' से बोहनी कर रहीं विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर के लिए भी इस फिल्म ने आगे की राह मुश्किल कर दी है।

अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर के अलावा फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' की तीसरी कमजोर कड़ी इसका लेखन और निर्देशन है। चंद्र प्रकाश द्विवेदी का कहना रहा है कि

चंद्र प्रकाश द्विवेदी का कहना रहा है कि इस फिल्म पर उन्होंने 15 साल रिसर्च की है। लेकिन, यह मेहनत वह परदे पर उतार नहीं पाए हैं।

उनकी फिल्मी कल्पनाओं से पानी पाती इसकी कहानी को इसकी पटकथा कमजोर कर देती है। और, अक्षय कुमार से वह 'सम्राट पृथ्वीराज' जैसा अभिनय भी नहीं करा पाए।

यहां ये बात भी जाहिर होती है कि हिंदी फिल्मों के सुपर सितारों को निर्देशित कर पाना आसान काम नहीं है। फिल्म में अक्षय कुमार के दृश्यों को निर्देशित करने में काम चलाऊ तरीके से काम लिया गया।

जाने फिल्म सम्राट पृथ्वीराज के ट्विटर रिव्यू के बारेमे के दर्शको को यह फिल्म कैसी लगी..