मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालभैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस माह यह 27 नवंबर को है।
भगवान काल की कृपा से जातक को भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं और इनकी आराधना का खास समय भी मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता है।
भक्तों के लिए काल भैरव दयालु, कल्याण करने वाले और अतिशीघ्र प्रसन्न होने वाले देव माने जाते हैं, तो वहीं अनैतिक कार्य करने वालों के लिए ये दंडनायक हैं।
इनके विषय में धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि यदि इनके भक्तों का कोई अहित करता है तो उसे तीनों लोकों में कहीं भी शरण प्राप्त नहीं होती है।
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष कीअष्टमी काल भैरव भगवान को प्रसन्न करने हेतु बहुत महत्वपूर्ण होती है।
क्या आप जानते हैं कि भगवान कालभैरव कि उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध से हुई थी।
भैरव के नाम जप मात्र से मनुष्य को कई रोगों से मुक्ति मिलती है। वे संतान को लंबी उम्र प्रदान करते है।
अगर आप भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक क्रियाओं से परेशान है,
तो आप शनिवार या मंगलवार घर में भैरव पाठ कर समस्त कष्टों और परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं।
मान्यता के अनुसार भगवान कालभैरव को वरदान है कि शिव की पूजा से पहले उनकी पूजा होगी। इसलिए उज्जैन दर्शन के समय कालभैरव के मंदिर जाना अनिवार्य है।
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