काली चौदस 2023 कब है, तिथि, व्रत कथा, महत्व
Kali Chaudas 2023 Date: काली चौदस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिवाली के त्यौहार का दूसरा दिन है। इस साल काली चौदस रविवार, 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इसे रूप चौदस और नरक चौदस भी कहा जाता है। दिवाली के एक दिन पहले ही मनाई जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहते है। इस दिन व्रत करने से भगवान श्री कृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते है।
इस दिन सुबह भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। शाम के समय यमराज की पूजा का महत्व है। इसे नरक की यातनाओ और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। इस दिन माँ काली की आराधना का भी विशेष महत्व है। काली माँ के आशीर्वाद से शत्रु ओ पे विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है।

काली चौदस व्रत कथा
प्राचीन समय में रमतिदेव नामक एक राजा थे। वह पहले जन्म में धर्मात्मा और दानी थे। उनके पिछले जन्म के पुण्यो के कारण वह दूसरे जन्म में भी दानी बने।
जब उनका अंत समय आया तब यमराज के दूत उन्हें लेने आए। यमदूत उन्हें नर्क में ले जाने आये थे, तो राजा ने गभराकर नर्क में जाने का कारण पूछा।
यमदुतो ने उन्हें बताया की आपके पुण्य सभी जानते है, लेकिन आपके पाप केवल भगवान और धर्मराज ही जानते है। तब राजा ने उसके पाप के बारे में पूछा तो उन्हें पता चला की एक बार एक ब्राह्मण उनके द्वार से भूखा प्यासा ही लौट गया था, जिसके कारण उन्हें नर्क में जाना है।
राजा ने यमदुतो को प्रार्थना की की वे उन्हें एक वर्ष का समय दे, ताकि वह उनके पाप का पश्चाताप कर सके। उनके सत्कर्मो को देखकर यमदुतो ने उन्हें एक वर्ष का समय दिया।
राजा ऋषि के पास गए और इस भूल का समाधान माँगा। तब ऋषि ने उन्हें काली चौदस का व्रत करके भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने को कहा और ब्राह्मणो को दान देने को बोला। और उसके बाद अपने पापो के लिए क्षमा याचना करने को कहा। तब राजा ने पुरे विधि विधान के साथ चौदस का व्रत किया। इसके प्रभाव से राजा स्वर्गलोक को प्राप्त हुए।
माना जाता है, की भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नामक राक्षश का वध किया था। नरकासुर ने सोलह हज़ार कन्याओ को बंदी बनाया हुआ था। तब भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से उन सोलह हजार कन्याओ को छुड़वाया और नरकासुर का वध किया था।
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